"ज़िन्दगी " (रूबाई)

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"देखो इधर भी घूम कर,  ये मौत का जो दौर है !  कहते हो जिसे ज़िन्दगी,  वह चीज़ ही कुछ और है!  छुरी सितम की डूब कर  उछल गई बहार में ...

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